बिहार के दबंग विधायक रीतलाल यादव पर शिकंजा,  रंगदारी, हत्याकांड और ज़मीनी विवादों में घिरे 
*वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह*

पटना (बिहार)। आरजेडी विधायक रीतलाल यादव के राजनीतिक और आपराधिक मामलों की गूँज एक बार फिर तेज़ हो गई है। दानापुर के बाहुबली माने जाने वाले रीतलाल यादव के खिलाफ दर्जनों मुक़दमें चल रहे हैं और हाल के दिनों में प्रशासन ने उन पर शिकंजा भी कस दिया है।

रीतलाल से जुड़ी बड़ी बातें :

1. मुक़दमों की लंबी लिस्ट है ।
रीतलाल यादव पर 40 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी, दंगा और शस्त्र अधिनियम के तहत कई मामले शामिल हैं। इनमें से कम से कम 10 मामलों में स्थानीय अदालतों ने संज्ञान लिया है।
2. हालिया सरेंडर और जेल मामले में 17 अप्रैल 2025 को रीतलाल यादव ने दानापुर अदालत में आत्मसमर्पण किया। अदालत ने उन्हें और उनके तीन साथियों चिक्कू यादव, पिंकू यादव, श्रवण यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
3. जेल तबादला की बात कर्रें, तो
पटना की बेउर जेल से उन्हें सुरक्षा कारणों और गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए भागलपुर सेंट्रल जेल स्थानांतरित किया गया। यहाँ उन्हें हाई सिक्योरिटी टी-सेल में रखा गया है, जहाँ पहले भी कुख्यात कैदी रखे जा चुके हैं।
4. पुलिस छापे और कार्रवाई मामले में, दानापुर और खगौल इलाक़े में उनके गुर्गों के ठिकानों पर पुलिस ने लगातार छापेमारी की है।एक ज़मीनी विवाद में आरोप है कि रीतलाल यादव के इशारे पर घर की दीवार तोड़ दी गई क्योंकि मालिक ने रंगदारी देने से मना कर दिया था।
5. प्रशासनिक सख़्ती भी काफी तेज है। दानापुर में प्रशासन ने 17 अवैध दुकानें ढहा दीं, जिन्हें सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर बनाया गया था और इनका सीधा संबंध रीतलाल यादव या उनके परिवार से बताया जा रहा है। इसके अलावे, ज़िला प्रशासन ने और भी अवैध निर्माणों पर कार्रवाई शुरू की है।

रीतलाल यादव का पक्ष

रीतलाल यादव का कहना है कि उन्हें साज़िश के तहत फँसाया जा रहा है और उनकी जान को ख़तरा है। उन्होंने अदालत में पेश होकर यहाँ तक कहा कि उन पर इतने दबाव हैं कि वे “इच्छामृत्यु” की अनुमति चाहते हैं।

“एनकाउंटर” की चर्चा

गौरतलब है कि रीतलाल को ले कर, कुख्यात बाहुबली अतीक अहमद जैसे गैंगेस्टर से की जा रही है। दबी जुबान से ही सही लेकिन दानापुर इलाके के लोगों को यह अंदेशा भी सता रहा है कि रीतलाल की कहीं अतीक अहमद की तरह एनकाउंटर की तैयारी की जा रही है। हालांकि इस को लेकर कोई आधिकारिक बयान कौन देगा? अब तक कोई ऐसी जानकारी नहीं मिली है कि सरकार रीतलाल यादव का एनकाउंटर करने की योजना बना रही है। प्रशासन और भाजपा नेताओं पर कानून-व्यवस्था सख़्त करने का दबाव ज़रूर है लेकिन कानूनी प्रक्रिया और राजनीतिक जोखिम को देखते हुए सरकार फिलहाल न्यायिक कार्रवाई पर ही ज़ोर दे रही है।

राजनीतिक और कानूनी असर

दीगर बात है कि रीतलाल यादव पर गहरा राजनीतिक दबाव हैं। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई का असर, उनकी पार्टी आरजेडी और विपक्षी दलों दोनों पर पड़ेगा। जाहिर सी बात है कि माननीय अदालतें इस पूरे मामले में गहरी नज़र बनाए हुए हैं।
इस बात को भी समझने की जरूरत है कि प्रशासनिक कदम सख्त और तल्ख है। जेल तबादला, लगातार रीतलाल के ठिकानों पर छापेमारी और अवैध निर्माण तोड़ने जैसी कार्रवाइयों से यह साफ है कि प्रशासन रीतलाल यादव का दबदबा तोड़ने की कोशिश में है।