अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) के द्वारा अपने उदबोधन में राज्य में कामकाजी महिला पुलिसकर्मियों की स्थिति स्पष्ट करते हुये कहा गया कि राज्य सरकार की नीति के अनुसार राज्य की सभी सरकारी सेवाओं में 35 प्रतिशत महिलाओं को नियुक्त किया जा रहा है। बिहार पुलिस में वर्ष 2013 से लगातार महिलाओं को आरक्षण की सुविधा दी गयी है फलस्वरूप महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हुयी है। दिनांक 01.01.2005 को बिहार पुलिस में 893 महिला पुलिसकर्मी थीं. दिनांक 01.01.2013 तक यह संख्या 2340 (3.4 प्रतिशत) दिनांक 01.01.2022 को 20,000 (21 प्रतिशत) तथा दिनांक 01.01.2023 तक विभिन्न पंक्तियों अर्थात सिपाही से Dy.SP तक महिलाओं की संख्या बढ़कर 24,247 है। इसमें भारतीय पुलिस सेवा की 23 महिला पदाधिकारी सम्मलित है। गर्व का विषय है कि प्रतिशत संख्या में बिहार पूरे राष्ट्र में अग्रणी है।
पुलिस विभाग में महिलाओं की सक्रियता बढ़ाने, उनकी नयी भूमिका तय करने तथा नयी सम्भावनाओं के लिए पुलिस विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है जो मुख्यतः निम्नलिखित है:-
1. पुलिस की महत्वपूर्ण डयूटीज में नेतृत्व भूमिका निर्वहन हेतु महिला स्वाभिमान बटालियन (अनुसूचित जनजाति की थारू महिलाएँ), बाल्मीकि नगर बगहा एवं महिला बटालियन, सासाराम का गठन किया गया है।
2. राज्य में प्रत्येक जिले में स्थापित 40 महिला थानों में महिला पदाधिकारियों को प्रभारी के रूप में प्रतिनियुक्ति किया गया है। यह व्यवस्था दिनांक 01.12.2011 से है। 3. राज्य की पीडित महिलाओं की थानों तक सुलभ पहुँच हेतु प्रथम सम्पर्क बिन्दु के रूप में थानों में महिला डेस्क की स्थापना की गयी है जो 24X7 कार्यरत है। अभी तक 850 महिला डेस्क में लगभग 500 महिला पुलिस पदाधिकारी एवं लगभग 2.000 महिला पुलिसकर्मी प्रतिनियुक्त हैं। उनके द्वारा बताया गया कि इन 850 थानों में अभी तक लगभग 20,000 महिलाओं के द्वारा अपनी समस्याओं को रखा गया जिसमें लगभग 5,000 से अधिक प्राथमिकी अंकित कर अनुसंधान किया जा रहा है तथा अन्य मामलों को सम्बन्धित विभागों को अग्रसारित किया गया है। 4. डायल 112, साइबर यूनिट तथा सोशल मीडिया सेण्टर में कार्य करने हेतु महिलाओं को प्राथमिकता दी गयी है। डायल 112 के राज्य स्तरीय कॉल सेण्टर जो कि 24X7 कार्यरत है में 100 प्रतिशत महिलाओं को स्थान दिया गया है।
0 टिप्पणियाँ