दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पांच दिनों से चल रहे श्री हरि कथा का पूर्ण समापन वैदिक यज्ञ के साथ किया गया यज्ञ के महत्व बताते हुए पंडित शेखर झा ने कहा वर्तमान समाज में जो यज्ञ पद्धति प्रचलन में है उसमें सिर्फ औपचारिकताएं निभाई जाती है जबकि यज्ञ के पीछे बहुत गहरा विज्ञान है ऋषि मुनियों की इस प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए दिव्य ज्योति वेद मंदिर लंबे समय से प्रयासरत हैं । जिसके संस्थापक व संचालक दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी हैं।
दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा ब्रह्म ज्ञान से विभूषित छात्रों के लिए रुद्राष्टाध्यायी संस्कृत संभाषण ग्रंथ बोध आदि जैसे कई कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाती है
झा ने बताया जब सभी शुद्ध सामग्री नागरमोथा, पित्त पापरा, जटामशि, लक्ष्मण बूटी, क्षेणकाष्ठ, गिलोई, तेजबल, खस, पलास पुष्प,कमल फल,गोखरू, लाज्यावटी मुलैठी,......जैसे कई औषधियों को गाय के घी के साथ मिलाकर हवन किया जाता है तो इससे निकलने वाली धुआं वायु को शुद्ध करता वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है है साथ हीं स्वास्थ्य लाभ भी होता है । स्वांस रोग एवम नेत्र रोग में वैदिक यज्ञ के धुआं से विशेष लाभ होता है ।
मौके पर यज्ञ के मुख्य यजमान विजय केसरी सपरिवार, यज्ञ के सभी सहयोगी यजमान, अररिया ब्रांच प्रभारी दिलीप जी , मीडिया प्रभारी मनोज जयसवाल, मुख्य कार्यकर्ता घनश्याम प्रसाद विश्वास मनोज विश्वास अशोक महतो एवं एवं सभी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पप्पू फिटकिरी वाला संतोष केसरी सहित समस्त फारबिसगंज वासियों का विशेष योगदान रहा ।
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