जी हाँ हम बात कर रहे है बिहार के अररिया मंडल कारा की जो कि हमेशा से विवादों में घिरा रहता है एवं पूरी तरह से भ्रष्टाचार के दलदल में डूब चुका है  । अभी हम आपको बता रहे है अररिया कारा में पदस्थापित सिपाही मिथुन कुमार के विषय में जिसने कानून को ताख पर रख कर सार्विस गन को  खिलौना समझ रखा है। अपना सर्विस गन का मजाक बना रखा है । एक सिविलियन को बंदूक देकर अपने ओर इंगित कर फ़ोटो खीचकर कर अपने व्हाट्सएप व शोशल मीडिया पर अपलोड भी कर दिया । कुछ भ्रष्ट ऑफिसर का संरक्षण प्राप्त होने के कारण न तो कोई करवाई होती है न ही ट्रांसफर एक ही जगह लगभग छह साल से एक ही जगह पदस्थापित है  । कारा में मनमानी के साथ साथ कानून की जम कर धज्जियाँ उड़ा रहा है । वहीं दूसरी बात सार्विस गन को खिलौना समझ रखा है । 
वहीं आपको बता दें कि पूर्व में जेल में एक दलित शख्स की पिट पिट कर हत्या करने का आरोप लगा । मामला मानवाधिकार के पास भी गया लेकिन अब तक कोई करवाई नही हुई । 
* जबकि बंदूक सुरक्षा नियमानुसार बंदूक को हमेशा लोडेड समझें। बंदूक को हमेशा सुरक्षित दिशा में रखें।
* जब तक आप शूट करने के लिए तैयार नहीं हो जाते तब तक अपनी उंगली को हमेशा सीधा और ट्रिगर से दूर रखें।
*बंदूक को कभी भी किसी सिविलियन को नही देना चाहिए ।
* जब तक आप इसे इस्तेमाल करने के लिए तैयार न हों तब तक बंदूक को हमेशा खाली रखें।
* बंदूक को कभी भी किसी भी चीज़ पर इंगित न करें जिसे आप नष्ट करने का इरादा नहीं रखते हैं।
अपने लक्ष्य के बारे में सुनिश्चित रहें  ।
एक वरीय पुलिस अधिकारी के अनुसार, ज्यादातर मामलो में ज्यादातर पुलिसवालों को पुलिस स्टेशन में ड्यूटी जॉइन करते वक्त सर्विस रिवॉल्वर दी जाती है। ड्यूटी खत्म होते ही उन्हें यह रिवॉल्वर जमा करानी पड़ती है। रिवॉल्वर लेते वक्त और जमा कराते वक्त -दोनों बार ड्यूटी ऑफिसर के सामने संबंधित पुलिस कर्मी को दस्तखत करने पड़ते हैं। बहुत से बड़े पुलिस अधिकारियों के नाम सर्विस रिवॉल्वर है , ड्यूटी समाप्त होने के बाद वे इसे घर ले जाने से बचते हैं और अपने घर के पास के पुलिस स्टेशन में इसे जमा करा देते हैं । जरूरत पड़ने पर वे इसे उस पुलिस स्टेशन से ले लेते हैं। यदि ऑफिस व घर के बीच कोई बड़ी वारदात हो गई, तो ये अधिकारी किसी भी पुलिस स्टेशन जाकर वहां से रिवॉल्वर ले लेते हैं और फिर माहौल ठंडा हो जाने के बाद इसे उस पुलिस स्टेशन में वापस कर देते हैं।